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हिंदी विभाग
सरिया कॉलेज में हिंदी विभाग की स्थापना 1984 ई. में हुई। उस समय कॉलेज राँची विश्वविद्यालय, राँची से सम्बद्ध था। 1992 ई. में कॉलेज को विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग से संबद्धता मिली।
हिंदी क्यों पढ़ें?
- हिंदी संवैधानिक रूप से भारत की राजभाषा है। साथ ही आधिकारिक रूप से राष्ट्रभाषा भी है। इसलिए अपने देश की प्रमुख भाषा का ज्ञान न होना एक बड़ी कमी मानी जाती है।
- हिंदी भारत की पहचान है। यह भाषा हमारी संस्कृति, साहित्य, जीवन मूल्यों, और संस्कारों को संभालती है।
- हिंदी में प्रवीणता से विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर मिलते हैं।
- हिंदी भारत में संचार का प्रमुख साधन है। इसका प्रयोग सरकार, शिक्षा, सिनेमा, मीडिया और व्यापार आदि क्षेत्रों में किया जाता है।
- हिंदी पढ़ने व लिखने से हमें विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों के लोगों के साथ प्रभावी ढंग से संवाद करने में मदद मिलता है। भारत के सभी प्रांतों से जुड़ाव होता है और देश की एकता को मजबूती मिलती है।
विभागीय मुख्य बातें-
- उच्च योग्यता प्राप्त और प्रतिबद्ध संकाय सदस्य।
- शिक्षण में आई.सी.टी. का उपयोग।
- कॉलेज की सांस्कृतिक और सह-पाठयक्रम गतिविधियों में छात्रों का उत्कृष्ट प्रदर्शन।
- साहित्यिक व शोध आधारित गतिविधियाँ।
- समूह चर्चा, संवाद, कविता पाठ, लेखन, आदि में विद्यार्थियों की सहभागिता।
- साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन व विशेषज्ञों का व्याख्यान।
हिंदी के कार्य क्षेत्र एवं अवसर -
- हिंदी संसार में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। भारतीय संविधान में हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में (हिन्दी भाषी राज्यों में) हिन्दी भाषा में कार्य करना अनिवार्य है। जबकि हिंदी भाषी राज्यों से इतर केंद्र/राज्य सरकार के विभिन्न विभागों और इकाइयों में हिंदी अधिकारी, हिंदी अनुवादक, हिंदी सहायक, प्रबंधक (आधिकारिक भाषा) जैसे विभिन्न पद होते हैं।
- निजी टी.वी. एवं रेडियो चैनलों के आगमन और स्थापित पत्रिकाओं/समाचार पत्रों के हिंदी संस्करण शुरू होने से इस भाषा में अवसर कई गुना बढ़ गए हैं। हिंदी मीडिया के क्षेत्र में संपादकों, पत्रकारों, संवाददाता, विषय संपादक, प्रूफ रीडर, रेडियो जॉकी, एंकर आदि की आवश्यकता है। शिक्षण, पत्रकारिता, जनसंचार, सोशल मीडिया आदि क्षेत्रों में हिंदी रोजगार के अवसर दे रही है।
पाठ्य-कार्यक्रम का अधिगम परिणाम-
स्नातक (FYUGP) पाठ्यक्रम के विभिन्न सेमेस्टरों के लिए एक ओर जहाँ हिंदी साहित्य के इतिहास का आदिकाल से लेकर आधुनिक काल तक के विभिन्न खंडों को रखा गया है, वहीं उस काल खंड के महान कवियों, लेखकों एवं उनके महत्त्वपूर्ण कृतियों को भी स्थान दिया गया है । लघु पाठ्यक्रम (MINOR DISCIPLINE) के अंतर्गत विषय संबंधी ज्ञान, आधुनिक भारतीय भाषा (अनिवार्य) हिंदी (MIL), अहिंदी (NON-HINDI) तथा संप्रेषण कौशल (COMMUNICATION SKILLS) के पाठ्यक्रम में भी हिंदी साहित्य की महान विभूतियों की विविध विधाओं की महत्वपूर्ण रचनाओं को रखा गया है। संप्रेषण कौशल से सम्बद्ध पाठ्यक्रम में निबंध, भाषा, व्याकरण, पत्रकारिता के भी कुछ हिस्सों को अनिवार्य बनाया गया है। ये सब मिलकर स्नातक पाठ्यक्रम – साख रूप रेखा (CCFUP) के उद्देश्यों को पूर्ण करते हैं।
शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया-
प्रत्येक भाषा – साहित्य एवं देश का अपना इतिहास होता है । यह अनेक कालखंडों में विभाजित होता है। प्रत्येक कालखंड की अलग-अलग, अपनी-अपनी परिस्थितियाँ होती है । राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, आंतरिक एवं बाह्य परिवेश होते हैं। इतिहास का अध्ययन इन्हीं प्राचीन भाषा, साहित्य, सभ्यता, संस्कृति आदि को जानने के लिए आवश्यक होता है, वहीं सृजनात्मक साहित्य मानवमूल्यों में अभिवृद्धि कर व्यक्ति को संवेदनशील बनाकर, उसमें भाषिक दक्षता प्रदान करता है : सौन्दर्यबोध उत्पन्न करता है तथा देश की कामकाजी व्यवस्था के अनुकूल बनाता है। हिंदी आज न सिर्फ राष्ट्रीय गुणवत्ता और संस्कार-संस्कृति की भाषा है वरन विश्वग्राम की एक महती रोजगारोन्मुख भाषा है जिसे जानने, समझने और अपनाने वालों की संख्या वैश्विक स्तर पर अव्वल है। इन उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु निम्नलिखित प्रक्रियाओं को समाहित किया जाएगा।
उद्देश्य –
- ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों को हिंदी की शिक्षा प्रदान करना।
- अपनी संस्कृति और साहित्य का ज्ञान प्रदान करना।
- इतिहास, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, राजनीति विज्ञान, भूगोल जैसे विभिन्न विषयों के विद्यार्थियों को हिंदी के प्रति नवीन दृष्टिकोण प्रदान करना।
- विद्यार्थियों में समग्र व्यक्तित्व एवं मूल्यों का विकास करना।
- बहुभाषी भारत देश की राजभाषा, राष्ट्रभाषा और संपर्क भाषा हिंदी है, वह मुझे आनी चाहिए, यह एहसास विद्यार्थियों में जगाना।
- हिंदी में बोलना, संवाद करना, वाचन-लेखन की क्षमता निर्माण करना।
- हिंदी साहित्य के प्रति आस्था का निर्माण करना।
- साहित्य के सौदर्य को समझाना।
- पाठ्यपुस्तकों में निर्धारित साहित्य तथा साहित्यकारों का परिचय कराना।
- पाठ्यपुस्तकेतर साहित्य तथा साहित्यकारों के प्रति जिज्ञासा का निर्माण करना।
- रोजगार के लिए उपलब्ध विविध क्षेत्रों में अवसर से अवगत कराना।
- हिंदी में रोजगार के लिए आवश्यक व्यावहारिक कौशल विकसित करना।
- विद्यार्थियों में संवाद क्षमता को विकसित करना
पाठ्यक्रम के विषय में –
प्रस्तुत पाठ्यक्रम प्राचीन भारतीय ज्ञान और विचार की समृद्ध परंपरा के आलोक में तैयार किया गया है। ज्ञान, प्रज्ञा और सत्य की खोज को भारतीय विचार परंपरा और दर्शन में सदा सर्वोच्च मानवीय लक्ष्य माना जाता था। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुंच प्रदान करना वैश्विक मंच पर सामाजिक न्याय और समानता, वैज्ञानिक उन्नति, राष्ट्रीय एकीकरण और सांस्कृतिक संरक्षण के संदर्भ में भारत की सतत प्रगति और आर्थिक विकास करना राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लक्ष्य है। इसी को ध्यान में रखकर एक न्यायसंगत और न्यायपूर्ण समाज के विकास और राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए यह पाठ्यक्रम तैयार किया गया है।
भाषा का प्रयोग दो रूपों में किया जाता है। बोलचाल तथा लिखित रूप में। बोलचाल की भाषा का मतलब दैनिक प्रयोग की भाषा से है। इसमें व्यक्तिगत रचनात्मकता का अभाव होता है। यह सामाजिक रचनात्मकता द्वारा निर्मित होती है। इस कारण इसमें सामाजिक-सांस्कृतिक रिश्तों की प्रगाढ़ता होती है। लिखित भाषा, बोल-चाल की भाषा से थोड़ी भिन्न होती है। मौखिक भाषा जब लिखित रूप में प्रयुक्त होती है तब गंभीर हो जाती है, विषय के अनुरूप उसमें परिवर्तन हो जाता है।
अध्ययन सामग्री–
छात्रों को पाठ्यपुस्तकों, शैक्षणिक पत्रों और ऑनलाइन संसाधनों तक पहुंच सहित कई प्रकार की अध्ययन सामग्री प्रदान की जाती है। ये सामग्रियां पाठ्यक्रम और स्वतंत्र अनुसंधान दोनों के लिए आवश्यक हैं।
पिछले प्रश्न पत्र –
छात्रों को आगामी परीक्षा की तैयारी में मदद के लिए पिछले परीक्षा के प्रश्न-पत्र उपलब्ध हैं। परीक्षा पैटर्न और अपेक्षाओं को समझने के लिए ये संसाधन अमूल्य हैं।
हिंदी विभाग का परीक्षा परिणाम–
वर्ष | सत्र | समसत्र | कुल परीक्षार्थी | कुल उतीर्ण | परिणाम (% में) | प्रथम स्थान |
---|---|---|---|---|---|---|
2019 | 2016-2019 | षष्ठ | 86 | 81 | 94.2% | मधु कुमारी (170691035788) अंक- 1112 (6.66 CGPA) |
2020 | 2017-2020 | षष्ठ | 120 | 120 | 100% | अनुराधा कुमारी (180691059745) अंक- 1581 (7.01 CGPA) |
2021 | 2018-2021 | षष्ठ | 126 | 123 | 97.6% | नीलम कुमारी (190691025436), अंक- 1647 (7.44 CGPA) |
2022 | 2019-2022 | षष्ठ | 184 | 124 | 67.4% | संतोष यादव (200691038943), अंक- 1604 (7.14 CGPA) |
2023 | 2020-2023 | षष्ठ | 143 | 118 | 82.5% | पूजा कुमारी (210691029019), अंक- 1601 (7.06 CGPA) |
शिक्षक प्रोफाइल
Assistant Professor || Department of Hindi
Assistant Professor || Department of Hindi